सागर माला प्रोजेक्ट भारत को बनायेगा आर्थिक
महाशक्ति-
क्या है मोदी की सागरमाला परियोजना?
सागरमाला परियोजना (SagarMala Project) की घोषणा 15 अगस्त 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने की थी | यह योजना देश के सभी बंदरगाहों को आपस में जोड़ने से सम्बद्ध है इसे सागरमाला इसलिए कहा गया क्योंकि परियोजना के अंतर्गत देश के सभी प्रमुख और गैर प्रमुख बंदरगाहों को नई तकनीक से लैस करना और समुद्र व्यापार को बढ़ावा देना शामिल है| 15 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने JNPT में अपने संबोधन के दौरान कहा कि सरकार द्वारा सागर माला परियोजना की परिकल्पना की गई है समुद्र तटीय राज्यों के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसे न केवल बंदरगाह का विकास होगा बल्कि बंदरगाह के द्वारा भी विकास सुनिश्चित होगा | जिसमें बंदरगाह विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) और समुद्र तट क्षेत्र से रेल, सड़क, हवाई मार्ग और जल मार्ग के द्वारा संपर्क शामिल होगा प्रधानमंत्री के अनुसार समस्त विश्व व्यापार का 2/3 और कंटेनर व्यापार का 50% हिस्सा हिंद महासागर के द्वारा होता है | अब इस योजना के अंतर्गत 10 तटीय आर्थिक क्षेत्र विकसित किए जाएंगे जो आर्थिक विकास के केंद्र में होंगे |
क्या है सागरमाला परियोजना:
भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ के तहत सागरमाला परियोजना की शुरूआत २०१४ में की गई थी, इसके तहत देश के चारों ओर सीमाओं पर सड़क परियोजनाओं में 7500 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र को जोड़ने के लिए नेटवर्क विकसित किया जाना है। केंद्र सरकार अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना सागरमाला पर 70 हजार करोड़ रु खर्च कर रही है। बंदरगाहों को जोड़ने की योजना के तहत रेल मंत्रालय 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से 21 बंदरगाह-रेल संपर्क परियोजनाओं पर काम शुरू करेगा। इस परियोजना का मकसद बंदरगाहों पर जहाजों पर लदने और उतरने वाले माल का रेल रेल और राष्ट्रीय राजमार्गो के जरिए उनके गंतव्य तक सागरमाला से पहुंचाना है। इस परियोयजना में बंदरगाहों के विकास और नए ट्रांसशिपिंग पोर्ट का भी निर्माण भी शामिल है, ताकि बंदरगाहों की क्षमता बढ़ाई जा सके। जाहिर सी बात है कि इससे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी, वहीं इसके तहत 27 इंफ्रास्ट्रक्चर क्लस्टरों का विकास होने से करीब एक करोड़ रोजगार भी सृजित होंगे। सरकार की जारी रिपोर्ट पर भरोसा करें तो सागरमाला देश के लॉजिस्टिक्स सेक्टर की तस्वीर बदल देगी।
सागरमाला परियोजना का उद्देश्य:
- सागरमाला का मकसद भारत के शिपिंग क्षेत्र की तस्वीर बदलना है. इसके तहत बंदरगाहों को आधुनिक बनाया जाएगा और उनके इर्द-गिर्द विशेष आर्थिक क्षेत्र विकसित किए जाएंगे.
- जैसे स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना ने भारत में सड़क परिवहन का स्वरूप बदला उसी तरह वाजपेयी सागरमाला के जरिये जल परिवहन क्षेत्र का कायाकल्प करना चाहते थे.
- विदेशों से होने वाले भारत के व्यापार का 90 फीसदी बंदरगाहों के जरिये होता है. देश की करीब साढ़े सात हजार लंबी तटीय सीमा पर 13 बड़े बंदरगाह हैं.
- सरकार की योजना है कि इनका कायाकल्प किया जाए और कुछ नए बंदरगाह भी विकसित किए जाएं.
सागरमाला परियोजना का लाभ:
- अनुमान लगाया जा रहा है कि सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो सागरमाला से सरकार को सालाना औसतन 40 हजार करोड़ रु तक की बचत होगी.
- इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है. सागरमाला के तहत देश के भीतरी भागों में जलमार्ग विकसित करने की भी योजना है.
- नदियों और नहरों से बने ये जलमार्ग सीधे बंदरगाहों से जुड़े होंगे और इनके जरिये समुद्र से दूर स्थित इलाकों से भी माल ढोया जा सकेगा.
- एक लीटर डीजल से सड़क पर 24 टन के कारगो को एक किलोमीटर तक ढोया जा सकता है. रेल के मामले में यही आंकड़ा 85 टन का हो जाता है और जल परिवहन के मामले में 105 टन तक पहुंच जाता है. यानी इससे माल ढुलाई की लागत असाधारण रूप से कम हो सकती है.
- बंदरगाहों तक रेल के जरिये कारगो के आवागमन को सरल बनाने के लिए खास तौर पर इंडियन पोर्ट रेल कॉरपोरेशन नाम की संस्था भी बनाई गई है. यानी सागरमाला से सड़क और रेल मार्ग पर पड़ रहा बोझ घटेगा और समय और पैसे की बचत होगी.
- कारोबार को आसान बनाने पर जोर दे रही सरकार का मानना है कि उद्योग बंदरगाहों के नजदीक होंगे तो उनके लिए निर्यात आसान होगा.
- सागरमाला का एक अहम हिस्सा बंदरगाहों के इर्द-गिर्द तटीय आर्थिक क्षेत्रों का निर्माण भी है. कारोबार को आसान बनाने पर जोर दे रही सरकार का मानना है कि उद्योग बंदरगाहों के नजदीक होंगे तो उनके लिए निर्यात आसान होगा.
- नए आर्थिक क्षेत्र पनपने से स्थानीय लोगों के लिए बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होंगे. इन लोगों के लिए सस्ती आवासीय परियोजनाएं भी विकसित करने की भी योजना है. इस तरह देखा जाए सागरमाला बड़े शहरों की तरफ हो रहे पलायन को रोकने की अहम कवायद भी है.
- इन बंदरगाहों का नियंत्रण केंद्र सरकार के पास रहेगा. यही वजह है कि केंद्र और राज्यों के बीच बढ़ते टकराव को देखते हुए कुछ इस योजना की सफलता पर संदेह जता रहे हैं.
- इसमें राज्यों को भी कम फायदा नहीं है. बंदरगाहों पर केंद्र का नियंत्रण होगा तो विशेष आर्थिक क्षेत्रों से जुड़ी अलग-अलग गतिविधियां राज्य सरकारों के अधीन होंगी. इस मसले पर सबको साथ लेकर चलने के लिए केंद्र ने राष्ट्रीय सागरमाला समिति भी बनाई है जिसमें सभी तटीय राज्यों के प्रतिनिधि हैं.
सागरमाला प्रोजेक्ट का विकास क्रम:
- रेल मंत्रालय द्वारा 20 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली 21 बंदरगाह-रेल संपर्क परियोजनाओं का निर्माण किया जाएगा।
- इन परियोजनाओं को जहाजरानी मंत्रालय द्वारा अपने प्रमुख कार्यक्रम सागरमाला के बंदरगाह संपर्क बढ़ाने के लक्ष्य के तहत पहचान किया गया है।
- इनका उद्देश्य रेल निकासी नेटवर्क को मजबूत बनाना और बंदरगाहों को अंतिम छोर तक संपर्क उपलब्ध कराना है।
- भारतीय बंदरगाह-रेल निगम लिमिटेड (आईपीआरसीएल) द्वारा छः अन्य परियोजनाओं पर विचार किया जा रहा है।
- जहाजरानी मंत्रालय द्वारा ‘भारतीय बंदरगाह रेल निगम’ (IPRCL : Indian Port Rail Corporation Limited) को निगमित किया गया है।
- आईपीआरसीएल को पहले ही माल की त्वरित निकासी हेतु विशाखापत्तनम एवं चेन्नई बंदरगाहों के लिए 3 परियोजनाओं का आवंटन किया जा चुका है।
- सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना अप्रैल, 2016 के तहत कई बंदरगाह-रेल संपर्क परियोजनाओं की पहचान की गई है।
- इसमें आईबी घाटी/तलचर से पारादीप तक हैवी हॉल रेल लाइन का विकास भी शामिल है।
- परियोजना से महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) से दक्षिण भारत के विभिन्न तटीय विद्युत संयंत्रों तक तटीय नौवहन के माध्यम से तापीय कोयले की ढुलाई में मदद मिलेगी।
- तूतीकोरिन जैसे प्रमुख बंदरगाह और धमारा, गोपालपुर, कृष्णापट्टनम जैसे गैर-प्रमुख बंदरगाहों के लिए भी रेल संपर्क परियोजनाएं प्रस्तावित हैं।
- सागरमाला कार्यक्रम के चार मुख्य उद्देश्यों में शामिल हैं- (1) बंदरगाह आधुनिकीकरण एवं नए बंदरगाहों का विकास (2) बंदरगाह संपर्क बढ़ाना (3) बंदरगाह आधारित औद्योगीकरण और (4) तटीय समुदाय विकास।
- इसके अंतर्गत 150 परियोजनाओं की पहचान की गई है जिनमें 4 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा।
- इससे 10 वर्ष की अवधि में 40 लाख प्रत्यक्ष रोजगार समेत लगभग 1 करोड़ रोजगार का सृजन होगा।
- इन परियोजनाओं से सालाना लगभग 35 हजार करोड़ रुपये की लॉजिस्टिक लागत में बचत होने का अनुमान है।
- इससे वर्ष 2025 तक भारत से वाणिज्यिक निर्यात को बढ़ाकर 110 बिलियन डॉलर पहुंचाने में मदद मिलेगी।
- छह मेगापोर्ट बनाने की योजना भी सागरमाला परियोजना में शामिल है।
Editor By- Ravi Yadav